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जीएसटी काउंसिल ने हाल ही में टैक्स स्ट्रक्चर में बदलाव करते हुए बड़ी राहत दी है. अब गाड़ियों पर सिर्फ दो दरें ( 4 मीटर से कम लंबाई वाली कारों और 350 सीसी तक की मोटरसाइकिलों पर 18% जीएसटी ) लागू होंगी, जबकि 4 मीटर से ज्यादा लंबाई वाली कारों और बड़ी एसयूवी पर 40% टैक्स लगेगा. इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा छोटे बजट वाले लोगों को मिलेगा, जो लंबे समय से महंगाई और आय में कमी के कारण गाड़ियों की खरीद से दूर थे.
छोटी कारों पर 12% तक कीमत कम
- दरअसल, नई स्ट्रक्चर में 1200 सीसी से कम इंजन वाली पेट्रोल कारें और 1500 सीसी तक की डीजल कारें, जिनकी लंबाई 4 मीटर से कम है, अब केवल 18% टैक्स के दायरे में आएंगी. अभी तक इन पर 29-31% तक जीएसटी लगता था. इस बदलाव से कीमतों में 12-12.5% तक की गिरावट आ सकती है. उदाहरण के तौर पर, 5 लाख रुपये एक्स-शोरूम कीमत वाली कार अब करीब 62,500 रुपये सस्ती हो जाएगी.
दोपहिया वाहन भी हुए सस्ते
- मोटरसाइकिल सेगमेंट में भी बड़ा बदलाव किया गया है. 350 सीसी से कम इंजन क्षमता वाली बाइकों पर अब केवल 18% जीएसटी लगेगा. पहले इन पर 28% टैक्स देना पड़ता था. इसका सीधा असर 100 सीसी से लेकर 150 सीसी सेगमेंट में बिकने वाली हीरो स्प्लेंडर, होंडा शाइन और बजाज पल्सर जैसी पॉपुलर बाइकों पर पड़ेगा.
बड़ी गाड़ियां और ऑटो पार्ट्स
- बता दें कि जहां छोटी कारें और बाइक्स काफी सस्ती हो गई हैं, वहीं बड़ी कारें, एसयूवी और लग्जरी गाड़ियां भी थोड़ी सस्ती होंगी. अब उन पर 40% टैक्स लगेगा, जबकि पहले इन पर सेस मिलाकर 43-50% तक टैक्स वसूला जाता था. साथ ही ऑटो पार्ट्स पर भी 28% की जगह 18% की समान दर लागू होगी, जिससे गाड़ियों की कुल लागत कम होगी.
ऑटो इंडस्ट्री के लिए बूस्ट
- विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी 2.0 का यह कदम ऑटो इंडस्ट्री के लिए गेमचेंजर साबित होगा. S&P Global Mobility के एसोसिएट डायरेक्टर गौरव वंगाल के मुताबिक, छोटी कारों पर टैक्स घटाकर 18% करना त्योहारों के सीजन में एंट्री-लेवल कारों की मांग बढ़ाएगा. खासकर फ्रोंक्स और पंच जैसी कॉम्पैक्ट क्रॉसओवर कारों की बढ़ती डिमांड को देखते हुए उन्होंने कहा कि मारुति, टाटा और महिंद्रा जैसी कंपनियों को इसका सबसे ज्यादा फायदा होगा,
बिक्री में आई गिरावट
- उद्योग के आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2025 में कॉम्पैक्ट कारों और हैचबैक की बिक्री 13% घटकर 10 लाख यूनिट रह गई, जबकि SUV की बिक्री 10% बढ़कर करीब 23.5 लाख यूनिट हो गई. कुल पैसेंजर व्हीकल बाजार में छोटी कारों की हिस्सेदारी लगातार पांचवें साल घटकर 23.4% रह गई. ऐसे में सरकार के इस फैसले से उम्मीद है कि छोटी कारों की बिक्री फिर से पटरी पर लौटेगी और बाजार में संतुलन बनेगा.
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