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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से घोषित GST 2.0 सुधार अब हो चुका है और इसके साथ ही भारत के ऑटोमोबाइल टैक्स ढांचे में बड़ा बदलाव आया है. जहां छोटी कारों और टू-व्हीलर पर टैक्स दरों में कटौती की गई है, वहीं लग्जरी कारों और प्रीमियम इलेक्ट्रिक वाहनों पर अब ज्यादा टैक्स लगेगा. नए नियमों के तहत, 1,200 सीसी से ज्यादा पेट्रोल इंजन और 1,500 सीसी से ज्यादा डीजल इंजन वाली बड़ी कारों को “लग्जरी सामान” की श्रेणी में रखा गया है. इन गाड़ियों पर अब सीधे 40% जीएसटी लगाया जाएगा.
किन वाहनों पर लागू होगा नया नियम?
- दरअसल, सरकार ने साफ किया है कि 4 मीटर से लंबी और 1,500 सीसी से ज्यादा इंजन वाली सभी कारों और SUVs पर यह नई दर लागू होगी. इसमें SUV, MUV, MPV और XUV जैसे सभी यूटिलिटी व्हीकल शामिल हैं. इन वाहनों का ग्राउंड क्लीयरेंस अगर 170 मिमी से ज्यादा है, तो वे भी इसी श्रेणी में आएंगे. खास बात ये है कि अब इन पर कोई अलग से सेस (cess) नहीं लगेगा, बल्कि सीधे 40% जीएसटी ही लिया जाएगा.
पुराने टैक्स ढांचे और नए ढांचे में अंतर
- GST सुधार से पहले यात्री वाहनों पर एक समान 28% जीएसटी लगता था. इसके अलावा, इंजन और बॉडी टाइप के आधार पर 1% से लेकर 22% तक का एक्स्ट्रा सेस वसूला जाता था. उदाहरण के तौर पर, SUV पर कुल टैक्स 50% तक पहुंच जाता था. लेकिन नए नियमों में सेस हटा दिया गया है और सीधे 40% जीएसटी लागू कर दिया गया है. इससे टैक्स दरें सरल हो गई हैं, हालांकि लग्जरी गाड़ियों के खरीदारों को ज्यादा बोझ उठाना पड़ेगा.
प्रीमियम इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर असर
- जहां छोटी और किफायती इलेक्ट्रिक कारों पर पहले की तरह 5% टैक्स ही लगेगा, वहीं बड़ी और प्रीमियम इलेक्ट्रिक वाहनों को लग्जरी कैटेगरी में रखकर 40% टैक्स लगाया जाएगा. इससे टेस्ला और BYD जैसी विदेशी कंपनियों की बिक्री पर असर पड़ सकता है. उदाहरण के लिए, टेस्ला इस साल भारत में सिर्फ 350 से 500 गाड़ियां बेचने की योजना बना रही है, वहीं BYD ने अब तक करीब 10,000 प्रीमियम EVs बेची हैं. नए टैक्स ढांचे से इनकी मांग घट सकती है.
छोटी कारों और टू-व्हीलर्स को फायदा
- बता दें कि इस बदलाव का फायदा छोटी कारों और टू-व्हीलर सेगमेंट को मिलेगा. 4 मीटर से कम लंबाई और छोटे इंजन वाली कारों पर अब सिर्फ 18% जीएसटी लगेगा. पहले इन पर 29% से 31% तक टैक्स लगता था. इसी तरह 350 सीसी से कम की बाइकों पर भी टैक्स घटकर 18% रह गया है. इससे आम ग्राहकों के लिए एंट्री-लेवल गाड़ियां ज्यादा किफायती होंगी.
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